आनंद के झरने

कोई और नहीं जानता, क्या नाता है तेरा मेरा।
पहचान नहीं पाता, कोई ये लीला तेरी।

गिने चुनो को ही प्रेम अपना बतलाते हो,
बाकी सभी को खामोश रहकर अपने जलवे दिखते हो।

नामुमकिन क्या है तुम्हे? ऐसा तो कुछ भी नहीं।

फिर भी जीवन का धैय सफल करने की सीख,
प्रयास करने वालो को ही देते हो।

एक सफल जीवन का रहस्य, अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य ही है।

इस घने अथाह भवसागर में,
उस पावन आनंद के झरने में हमें तुमही भिगोते हो।

यह अनिरुद्ध पिपासा कायम रहे दिल में,
येही हर श्रद्धावान की चाहत है बापू से।

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